शशि पुरवार को महाराष्ट्र सहित्य अकादमी का संत नामदेव स्वर्ण पुरस्कार की घोषणा।

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महाराष्ट्र साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कारों की घोषणा की गयी है . साहित्य मे चिर परिचित नाम शशि पुरवार को  महाराष्ट्र साहित्य अकादमी  द्वारा उनकी कृति “भीड़ का हिस्सा नही “ के लिए संत नामदेव स्वर्ण पुरस्कार दिया जाएगा । इसमें  एक स्वर्ण पदक व 35000 रु की राशि प्रदान की जाती है शशि पुरवार कभी भीड़ का हिस्सा नही रही वे अपने आप में एक अलग स्तम्भ बनी है ।

सन 2016 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा​ सौ सशक्त महिलांओं में चयन हुआ एवं ​माननीय ​पूर्व राष्ट्रपति ​स्व. प्रणव मुखर्जी के कर कमलों द्वारा सम्मानित भी किया गया | शशि पुरवार ने बताया कि  सम्मानित  होना भी एक  ​बेहद ​गौरवशाली क्षण था ।

​विशेष अनगिनत ​साझा ​ संग्रह एवं महत्वपूर्ण दस्तावेजों में मेरी रचनाएं ​​शामिल हैं ​. राष्ट्रभाषा पर लिखेगए गीत, राजभाषा समिति द्वारा मंत्रालय में सुरक्षित दस्तावेज बने हैं। कुछ गीत वन व पर्यावरण विभाग द्वारा सरकारी दस्तावेजों में शामिल हुए हैं। UGC द्वारा मान्यता प्राप्त सन्दर्भ ग्रंथों में परिचय व नवगीत कोष में शामिल है।

अभी तक  शशि पुरवार जी ने 11 किताबें लिखी है और दो उपन्यास अभी लिखना जारी है , ​इनमें से 5 किताबें अलग-अलग विधा की प्रकाशित हुई हैं ​। व्यंग्य की घुड़दौड़​ (व्यंग्य ) , धूप आंगन की ​( ​साहित्य गद्य पद्य संग्रह​) , जोगनी गंध ​(हाइकुसंग्रह​) , ​मन का चौबारा​ ( कुंडलियाँ- माहिया छंद संग्रह​)​ ​ , ​ ​भीड़ का हिस्सा नहीं ​( गीत -नवगीत संग्रह​ ) जो शशि जी के ह्रदय के बेहद करीब है​​।  इसके अतिरिक्त शेष संग्रह समयानुसार शशि जी  प्रकाशित  करेगीं​, ​जिसमें एक दोहा संग्रह​,​ कहानी संग्रह​,​ लेख व समीक्षा संग्रह शामिल है ​। ​अभी ​जिस उपन्यास पर कार्य कर रही  हैं ​जो हमारे परिवेश की नमकीन संवेदनाओं को व्यक्त करके खारेपन को भी मीठा करेगा । आशा है की वह लोगों को पसंद आएगा। ​शशि जी थोड़ा समय  ही निकाल कर ही  लेखन करती हैं उनका मानना  है कि भले कम लिखूं किंतु गुणवत्ता कम ना हो ​  इसीलिए बहुत ज्यादा किताबें नहीं लिखी हैं​​।

​ वर्षों से साहित्य में बड़ी शांति से अपना सतत योगदान प्रदान कर रही हैं। सहित्य की लगभग हर विधा  गीत,लघुकथा, कहानी ,व्यंग्य , दोहे , आलेख, छ्न्द इत्यादि अपना  सशक्त योगदान दे रही है । गत वर्ष उनके सम्पादन में आए सरस्वती सुमन पत्रिका के दो विशेषांक नारी विशेषांक व कहानी विशेषांक भी खूब चर्चित हुए हैं ।  उनकी कलम बेबाक़ी से हर विषयों पर चलती है।

शशि जी देश के सभी राज्यों  की प्रेस पत्रिकाओं में भी लेखन करती है और वह पाठकों से सभी सोशल मीडिया से जुड़ी हुई है।

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